कितना अजीब.....

जख्म....

जिन जख्मों से अगर खून ना निकले तो समझ जाना । 
जख्म किसी अपने ने दिये है ।। 


इतना  कहाँ  मशरूफ हो  तुम , 
आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते  

तेरी मोह्हबत को कभी खेल नहीं समझा , 
वरना खेल तो  इतने खेले है की कभी हार नहीं  माने 

कुछ अलग सा है अपनी मोह्हबत का हाल है 
तेरी चुप्पी और मेरा सवाल 

No comments:

Post a Comment