कितना अजीब.....

तुम्हे खोने से....

मैं तुम्हे खोने से डरता हूँ , की मई तुम्हे खोने से डरता हूँ । 

तुम अपनी मांग में मेरे नाम की सिंदूर भर के मेरा ये डर  दूर करोगी क्या  ।। 

तुम्हारी कलाई बहुत सुनी लगती है , की तुम्हारी कलाई बहुत सुनी लगती है  ।

मेरे हाथों से चूड़िया  पहनोगी क्या   ।।।

मैं तुम्हे घडी नहीं पहनने दूंगा क्यूंकि वक्त भी तुम्हे देख के रुक जाता है   ।

और मैं नहीं चाहता की तुम उस रुके हुए वक्त को वक्त निकाल के देखो    ।।।।। 

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